Wednesday, January 26, 2011

प्यार है ....

प्यार  है ....



हर  पायल  की  खनक  में ...

आशिकों  की  जिद  और सनक  में ...



इश्क  में ... दो  दिलों  के  मेल  में ...

हर  जूनून  में ...हर  खेल  में ...



हर  जीत  में ...उपहार  में  ...

फूलों  की हर एक  कतार  में  ...



बगिया  में  ...खिलते  खलिहानों  में ..

ऊँचे  पर्वतों  और  फैले  मैदानों  में ...



हंसती  नदिया  में , शांत  वादी  में ...

हर  वादे  में ...हर  शादी  में ...



विश्वास  में ...तेरे  एहसास  में ...

हर  रिश्ते  की  मिठास  में ...



माँ  के  खाने  में ...पिता  की डांट में ...

बहना  से  झड़प  में  ..हर  आशीर्वाद  में ...



हर  दुआ  में ...अभिवादन  में

हर  गीत , संगीत  और  वादन  में ..



दिवाली  की  रौनक  में ...होली  के  हुडदंगों   में ...

चाहत  भरी  ना  में ... दोस्तों  से  पंगों  में ...



प्यारी  मुस्कान  में  ...हर  नादानी  में ...

छेड़खानी  में  ...हर  शैतानी  में ...



कुड़ियों  की  ख़ूबसूरती  में ... नखरों  में ...

लड़कों   के  जोश  में ..उनकी  शरारती  अंखियों  में ...



हर  कण  में , हर  पल  में ...हर  मन  में  प्यार  है ..

बस  देख  पाने  वाली  एक  नज़र  की  दरकार  है ...

2 comments:

  1. last second para reminds me a of Gaurav Towers where we usually used to do NSP...:P

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  2. @ pritam : yeah...dat was the only tadka in our life...as well as in this poem too.. :)

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