Monday, February 21, 2011

कौन है तू

कौन  है  तू ? जो  खोता  नही , खोने  देता  नही - गर  मैं  रास्तों  से  भटक  भी  जाऊ 
उदास  होने  नही  देता  मुझे , पलकें भी बंद  नही  करता - गर  मैं  सो  ना पाऊं

राहें  मंजिल  लगती  है  जब  तू  हो  साथ , जब  बैठे  होते  है  पीठ  सताये  हम  चुप  चाप ...
लहरों  पे  अठखेलियाँ  करूं  या  डूबती  हो  नाव  मझधार  में , पकडे  होता  है  तू  ही  हाथ ..

रूठ  जाऊं  अगर  तुझसे , टूट  जाते  है  सपने , बिखरा  नज़र  आता  है  आइनों  में  अक्स  मुझे ...
भरे  जाम , सुहानी  शाम , प्यारे  पैगाम और मेरे  कलाम , सब  पुकारते रहते  है  बस  तुझे ..

सताता  है , रुलाता  है  बेतुकी  बातें  करके , फिर  पलकों  से  आंसू  गिरने  भी  नही  देता ...
पंख  लगाये  मन  बावरे  को  तुने  ही , पर  ये  खुदा  हमे  संग  उड़ने भी  नही  देता ...

ख़ुशी  में - गम  में, खुदी  में - बेखुदी  में, इस तनहा  भीड़  में कैसे  जीना  है  सब  तुने  ही  बताया ...
तेरे  संग  संग  हंस  के  जीना  सीखा मैंने ...बस  अब  तलक  मुझे  तेरे  बगैर  रहना  न  आया ...

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