Thursday, September 1, 2011

कितने रंग हैं इस दुनिया के....

काले पीले कुछ चमकीले.....रंग हैं सब दिल के ही अपने .....
कोई है चाहत, कोई शरारत...कुछ धोखे और कुछ हैं सपने....
कितनी खुशियाँ...कितने आंसू...किसे छुपा लूं...किसे मैं बांटूं....
इतने मुखोटे इस दुनिया के...यहाँ सच्चा चेहरा कैसे छांटू...

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