Friday, September 9, 2011

हसरत-ए-इखलास

हर नगीने की चाहत अंगूठी बनना नहीं होती ..........
हर फूल गले का हार बनके सजना नहीं चाहता ..........

बस मुस्कान बढ़ाने का इरादा हो जिसके दिल में.....
वो हीरा तो पैरों की पायल में छुपकर भी है इतराता.....

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