Wednesday, November 2, 2011

बेफिक्री उनकी ...

देखा नहीं जिन आँखों ने ....मुझे उन चार सालों में...
आया न होगा चेहरा मेरा.....कभी जिनके ख्यालों में....

मर गये उनकी गली में एक दिन...सोचा वो जानेंगी इसी बहाने से...
यहाँ उठ गया जनाज़ा मेरा...उन्हें फुर्सत न मिली मेहँदी लगाने से... 

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