पलकों की पालकी में जितने भी प्यार के हैं पल
निकल पड़ें हैं मेरे नैनों से, लेकर के नीर की शक्ल
तेरे सपनों के दामन को भिगो दे जितना ये झरना
समझना की उतना ही याद करते हैं हम तुम्हे आजकल
My poems are just my feelings ...... sometimes true......sometimes they are just imaginary...... Meri likhi kavitayein... Kuch vaastvik bhavnao ka darpan h...kuch bas "kalpana" se bhari... Pesh-e-khidmat h chand Alfaz.....Umeed h aapko pasand aayegi yeh "Gazalein" meri...