Monday, February 27, 2012

आ मेरे पास आ...


आ मेरे पास आ, मेरी बाँहें सजा
ये जवां धडकनें, कुछ मुझे भी सुना

हाथ पर हाथ रख, और चुरा ले मुझे
मुझपे छा इस कदर, मैं न भूलूँ तुझे

हया से पलकें झुकाए, यूँ मुझमे समा
अधीर अधरों से बस, मैं तेरा नाम लूं

टूट के जब हम बिखरें कुसुम की तरह
तू मुझे थाम ले, मैं तुझे थाम लूं ...

Friday, February 10, 2012

Will you please be mine !!



I have been an artist since my younger days...
trying to portray my dream girl, in different ways...

to sketch her smile out, to imagine her looks...
to read her face, to write her down in my books...

she was a blurred pic, one i cud never saw through...
she made herself visible, on the same day i met you...

you had it all in you, you had my heart in one go...
my heartbeats were jumping, n my eyes got a new glow...

i stole my chances to look at you, to admire you...
be in your dreams, and your heart, is all i desire to...

you own all of my smiles now, you're all my happiness...
you're in my each thought, n reason of this craziness...

let me become the one for you, let me tell dat I love you...
let me close my eyes n open them, only wen i can see you...

let me be besides you, let me hold you close to my heart…
you have made my life as heaven, please let me do my part...

i want you to be in everything i love, please be mine...
i will love you forever n more, ma’am, will you be my valentine…!!

Tuesday, February 7, 2012

क्यूँ ??


किसी महफ़िल को रोशन करने को, क्यूँ शमां को जलना पड़ता है

सच को सच साबित करने को, क्यूँ सच को ही बदलना पड़ता है

बन जाता राख का ढेर वही, जो रेतों के महल सजाता फिरता है

परिपक्व और मीठा फल ही, सबसे पहले नीचे क्यूँ गिरता है

क्यूँ भीगना पड़ता उस नीड़ को है, जो पराये पंछी को बसेरा देता है

क्यूँ लुप्त अँधेरे में है होता वो भी, जो खुद सबको उजियारा देता है

खुश करने को अपनों को भी, क्यूँ अपनी खुशियाँ ही खोनी पड़ती है

चुनरी में लगे दाग छुडाने को, उसको कीचड से क्यूँ धोनी पड़ती है

स्वप्नों के बदले बिकते स्वप्न कहीं , रक्त के बदले मिलते रत्न कहीं

हैं ढेरों झूठे नकाब हर चेहरे पर, और फिरते हैं जख्म घुमते नग्न वहीँ

क्यूँ चीख रहे सब आजीवन,मेरे प्रश्न, बचपन, यौवन और मेरा अंतर्मन

क्या ढूंढ रहे तुम, सोचो तो ज़रा ए समझदारों, मैं तो बस ढूंढ रहा दर्पण...

एक गुलाब.....मेरे गुलाब के लिए....


इक नज़राना-ए-इश्क पेश करता हूँ, इस हुस्न बेहिसाब के लिए...

ये दिल-ए-नादान पेश करता हूँ, आप मोहतर्मा के नकाब के लिए...

जाम-ए-नज़र पेश करता हूँ, इन नूरानी नज़रों की शराब के लिए...

एक सुर्ख गुलाब-ए-मोहब्बत पेश करता हूँ, मेरे शोख गुलाब के लिए...

Monday, February 6, 2012

मुझ से आ के मिल...


मेरे लम्हे थे कुछ तन्हा, था बयाबान ये दिल
पलकें खामोश थीं, अँधेरी सांसें भी थी बुझदिल...

तेरे आते ही रोशन हुआ मेरी साँसों का कारवाँ
लफ्ज़ नगमा बन गए, हर शाम तेरी महफ़िल...

तुने नज़रें मिला के यूँ, ज्यूँ झुकाई पलकें
ये दिल ठहर गया, थम गयी थी धडकनें...

अब तो घुल गयी है तू मेरी रूह में इस कदर
जान चली जाएगी, गर तू न पायेगी मुझसे मिल...


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