Tuesday, February 7, 2012

एक गुलाब.....मेरे गुलाब के लिए....


इक नज़राना-ए-इश्क पेश करता हूँ, इस हुस्न बेहिसाब के लिए...

ये दिल-ए-नादान पेश करता हूँ, आप मोहतर्मा के नकाब के लिए...

जाम-ए-नज़र पेश करता हूँ, इन नूरानी नज़रों की शराब के लिए...

एक सुर्ख गुलाब-ए-मोहब्बत पेश करता हूँ, मेरे शोख गुलाब के लिए...

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