Monday, February 6, 2012

मुझ से आ के मिल...


मेरे लम्हे थे कुछ तन्हा, था बयाबान ये दिल
पलकें खामोश थीं, अँधेरी सांसें भी थी बुझदिल...

तेरे आते ही रोशन हुआ मेरी साँसों का कारवाँ
लफ्ज़ नगमा बन गए, हर शाम तेरी महफ़िल...

तुने नज़रें मिला के यूँ, ज्यूँ झुकाई पलकें
ये दिल ठहर गया, थम गयी थी धडकनें...

अब तो घुल गयी है तू मेरी रूह में इस कदर
जान चली जाएगी, गर तू न पायेगी मुझसे मिल...


No comments:

Post a Comment

    © 2010-2012 by Ravi Sharma. All Rights Reserved.