Sunday, June 5, 2011

वो हक जताएं तो सही ...

उनके दामन में खुशियों की सौगात सजा दूं...वो ज़रा फरमायें तो सही ....
पलकें बिछा दूं उन क़दमों तले मैं...वो मेरी गली कभी आयें तो सही..... 

इन्द्रधनुषी श्रंगार से सजा दूं दर्पण...वो नज़र उठा खुद को निहारें तो सही ...
चला आऊं हर कसम तोड़ के पहलु में उनके.....वो एक बार पुकारें तो सही ... 

सजदे में उनके हर ताल बाँध दूं .....वो अपने सुर सजाएं तो सही ...
रात चाँद को ताके बिना सो भी जाऊ....वो इन बालों को सहलाएं तो सही ....

आँख खोल सुबह को सलाम करू मैं....पर वो मेरे सपनों से जायें तो सही ...
तड़प तड़प के भी जी लेगा ये दीवाना...वो जान बूझ के मुझे सताएं तो सही ....

उनके दिए आंसू भी मोती समझ संजो लूं ...वो एक बार रुलाएं तो सही ....
पेश -ऐ - खिदमत कर दूं ये सर कलम कर....पर वो मुझपे हक जताएं तो सही ....

Saturday, June 4, 2011

तलाश

मोहब्बत हुस्न वालों से हमें रोज़ हुआ करती हैं.....
पर कमबख्त ये इंतज़ार खत्म होता नज़र नहीं आता.....
या तो निगाहें नज़रंदाज़ कर रही हैं किसी के ख़ास अंदाज़ को...
या फिर इन्हें ये नहीं पता की हमें तलाश किसकी है... 

Wednesday, June 1, 2011

खुशनसीबी


वो गाती गुनगुनाती, तेरे बालों को लहराती ...ये हवाएं खुशनसीब हैं 
छुपते छुपाते या नज़रें मिलाके, तेरा नूर चुराती निगाहें खुशनसीब हैं 
सपनों में, अपनों में, वो चाही अनचाही हमारी मुलाकातें खुशनसीब हैं 
तन्हाई में, रुसवाई में, तेरी याद में तनहा कटी मेरी रातें खुशनसीब हैं
इतने सलोने अक्स में ढला जो, तुझे मिला जो, वो नसीब खुशनसीब हैं 
सब छीन जाए पर तू मिल जाये तो मैं मान लूं की ये गरीब खुशनसीब है 
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