कौन है तू ? जो खोता नही , खोने देता नही - गर मैं रास्तों से भटक भी जाऊ
उदास होने नही देता मुझे , पलकें भी बंद नही करता - गर मैं सो ना पाऊंराहें मंजिल लगती है जब तू हो साथ , जब बैठे होते है पीठ सताये हम चुप चाप ...
लहरों पे अठखेलियाँ करूं या डूबती हो नाव मझधार में , पकडे होता है तू ही हाथ ..
रूठ जाऊं अगर तुझसे , टूट जाते है सपने , बिखरा नज़र आता है आइनों में अक्स मुझे ...
भरे जाम , सुहानी शाम , प्यारे पैगाम और मेरे कलाम , सब पुकारते रहते है बस तुझे ..
सताता है , रुलाता है बेतुकी बातें करके , फिर पलकों से आंसू गिरने भी नही देता ...
पंख लगाये मन बावरे को तुने ही , पर ये खुदा हमे संग उड़ने भी नही देता ...
ख़ुशी में - गम में, खुदी में - बेखुदी में, इस तनहा भीड़ में कैसे जीना है सब तुने ही बताया ...
तेरे संग संग हंस के जीना सीखा मैंने ...बस अब तलक मुझे तेरे बगैर रहना न आया ...