जहाँ कुछ बंधन दर्द दे जाते है वहीं कुछ रिश्तों की गांठें मौत से भी हमें बचा लाती हैं ...
चाहे जितनी चोटें खा ले, पर इस दिल - ए - नादाँ की ये उलझनें कहाँ सुलझ पाती हैं ...
गर मिले सच्चा प्यार करने वाला तो बेखुदी का आलम रहता है बिन शराब के ....
वहीं गर बेवफा हो देने वाला तो चुभने लगते हैं हाथों में नाजुक पत्ते उसी गु लाब के ....
गर मिले सच्चा प्यार करने
वहीं गर बेवफा हो देने वाला तो चुभने लगते हैं हाथों में नाजुक पत्ते उसी गु
shabdon main kuchh khas dam nahee hai ,,,,,,,kanhi kanhi dhar kam kar rahi hai ....baki pryash theek tha
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