Thursday, May 5, 2011

गर बेवफा हो वो...

जहाँ कुछ  बंधन  दर्द दे जाते है  वहीं  कुछ रिश्तों  की  गांठें मौत से भी हमें बचा लाती  हैं ...
चाहे जितनी चोटें खा ले, पर इस दिल - ए - नादाँ की ये उलझनें कहाँ सुलझ पाती  हैं ...

गर  मिले  सच्चा  प्यार  करने  वाला  तो  बेखुदी  का  आलम  रहता  है बिन  शराब  के ....
वहीं गर बेवफा हो देने वाला तो चुभने लगते हैं हाथों में नाजुक पत्ते उसी गुलाब के ....

1 comment:

  1. shabdon main kuchh khas dam nahee hai ,,,,,,,kanhi kanhi dhar kam kar rahi hai ....baki pryash theek tha

    ReplyDelete

    © 2010-2012 by Ravi Sharma. All Rights Reserved.