ये हया तेरी, हर अदा तेरी - जगाती है चाहतें, थोड़ी प्यारी, थोड़ी चंचल ...
बिखेर देती हैं मोहब्बत हर जगह - जल हो, हो थल, या हो अम्बर का आँचल ....तू गाती है , गुनगुनाती है, नित मेरे हृदय के प्रांगण में इठलाती है, बल खाती है ....
मदहोश हूँ मैं, बेसुध हूँ , और ये नशा उसी जाम का है जो तू नज़रों से पिलाती है ...
घायल न करो मुझे, इन बहती जुल्फों से कह दो ये मेरे ख्वाबों में लहराना छोड़ दे ...
चितचोर इशारों से कह दो, अब मुझे यूं तडपाना, मेरे दिल को बहकाना छोड़ दे ..
अगर मेरे दिल के दहकते अंगारों को हवा देती रहेगी यूं ही , ये बेबाक निगाहें तेरी
तो क्यों न तडपेगा दिल तेरे लिए , क्यों न बहकेगा मन , क्यों न ताकेगा राहें तेरी ...
गर यूं ही प्रेम पुरवाइयां बहती रही , तो चाहत ऐसी भड़केगी इस प्यासे आँगन में ...
जो बेबस कर देगी तेरे योवन के सावन को इस दहकती ज़मीन पे बरस जाने को ....
हे नाजुक गुलाब की पंखुड़ी , बिखर जा मुझ पर और महका दे इस भँवरे का जीवन
कब तक जलूँगा यूं अकेला, बन जा शमा और तेरे गले लग जल जाने दे परवाने को
tum logo k valentines ko meri taraf se chota sa tohfa .... valentine day pe ...
ReplyDeletethanku dost..:)
ReplyDelete