शायद मुझे नही पता - प्यार , ज़िन्दगी , कर्तव्य , सफलता के मायने क्या है
कुछ लड़खड़ाते कदमो का सहारा बन ने की कोशिश है ...
कुछ आँखों के सपने पूरे करने की ख्वाहिश है ..
अब गिले शिकवे मिटाने है , शिकायतें नही करनी ...
भरोसा करना है खुद पे , झूठी उम्मीदें नही करनी ...
मैं शब्दों के व्यर्थ अर्थों में उलझना नही चाहता ...
रिश्तों को तवज्जो देना सीखा है , बस उन्हें नाम देना नही आता ..
प्यार और जीवन पे चंद विशेषज्ञों की टिप्पणियाँ अब सुनना नही चाहता ...
चुन लिए चंद धागे मैंने रिश्तों के , उनसे जाल अपने लिए बुनना नही चाहता ...
No comments:
Post a Comment