शब्दों के संयोग सजाने की मेरी कला तो बस बेमानी है
आरज़ू है अब यह के इस दिल में तेरी एक दिलकश तस्वीर बनानी है ...
बयां तो इस बला की खूबसूरती को न कलम कर सकती है ना केनवास के रंग ...
ये तो एक नया बहाना है ..तुझे एकटक निहारने का ...घंटो बैठ जाने का तेरे संग ...
No comments:
Post a Comment