बिना शूल के पथ ऊंची मंजिलों की और नही जाते यारों ......
बिना क़त्ल के जूनून और रक्त की प्यास के मैदान - ए - जंग नही जीता जाता .....
जब नींद नही, खून उतरता है आँखों में, जलजला उठता है जज्बातों में ....
फिर जान जाये या जहां जाये, हमें शान - ए - हिन्दुस्तान के सिवा कुछ और नज़र नही आता .....
जब श्रीलंकाई शेरो से सामना होगा, बराबर के वार होंगे ....तभी जी भर के खायेंगे अब ...
तभी आएगा मज़ा लबों पे लहू मलने का, क्यों की अब हिन्दुस्तानी चीतों को मुफ्त का गोशत नही भाता ....
mast hai ... :)
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