Tuesday, November 8, 2011

"कुछ"..."कभी कभी"


कुछ जख्म दर्द नहीं दिया करते, और कभी एक खामोश नज़र रुला जाती है हमें ....
कभी गुस्सा प्यारा लगता है, वहीँ कुछ लफ़्ज़ों से मिली तकलीफें भी मज़ा लगती हैं ....

हक की कुछ कुछ बेड़ियाँ कभी चुभती नही, कभी अकेले उड़ना बंदिश सा लगता है...
कुछ आंसू हंसा देते हैं कभी दिल को , वहीँ कभी यूँ ही मिली माफ़ी भी सजा लगती है...

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