1.
वो कहते हैं, हम क्यूँ उनके सजदे में पलके बिछाये खड़े रहते हैं हर वक़्त....
हम क्या करें यारों... खुदा की इबादत में सर झुकाना बुजुर्गों ने सिखाया है....
2.
जिस दिन बयान करना होगा तुझे , तो अलफ़ाज़ मुझे और भी बहुत मिल जायेंगे ....
तू साथ रह बस, तेरी बंदगी में सजदा करने को कवितायेँ तो क्या, उपन्यास लिखे जायेंगे ...
3.
नशा करते है लोग ..कुछ छुपाने को ...कुछ जताने को ...कुछ कह पाने को ..कुछ सह जाने को ....
मैं तो हर लम्हा पी जाता हूँ यूँ ही एक घूँट में ...खामखा कुछ और बूँदें बिगाड़ने की जरुरत कहाँ है ...
4.
साथ तू रहे तो जश्न में पीतें हैं महफ़िलें सजा के.... वरना जाम तो मैखानों में भी बहुत मिला करते है....
पलकें वही हैं, फर्क तेरी मौजूदगी का है बस...कभी इनमे जुदाई के आंसू.... कभी तेरे सपने खिला करतें हैं....
5.
कौन कमबख्त कहता है की खुदा नहीं होता....और किसने अफवाह फैलाई की किस्मत जैसी कोई चीज़ नही होती ......
वो खुशकिस्मत न होता ...तो कैसे कंकड़ बीनते हुए को रास्तों में यूँ ही पड़ा मिल जाता ... गहरे समंदर का नायाब मोती........
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