My poems are just my feelings ...... sometimes true......sometimes they are just imaginary......
Meri likhi kavitayein... Kuch vaastvik bhavnao ka darpan h...kuch bas "kalpana" se bhari...
Pesh-e-khidmat h chand Alfaz.....Umeed h aapko pasand aayegi yeh "Gazalein" meri...
Wednesday, July 13, 2011
खुदा खो गया हो जैसे ....
भोर की आँखें बोझिल हैं, तन्हा चाँद कल रात भर न सोया हो जैसे.... शाम का आँचल भीगा है, ढलता सूरज गोद में उसकी रोया हो जैसे.... न शाखों पे पत्ते, न हवा में खुशबु, न बगियाँ के फूलों में रंगत बची हैं...
ज़र्रे ज़र्रे की मुस्कान चली गयी तेरे जाने से, इस कायनात ने खुदा अपना खोया हो जैसे ...
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