Tuesday, October 26, 2010

प्रेम के चरण..

प्यार की शुरुआत में -

उसको चाहा मैंने इतना
प्यार किया बेइंतहा, उसका हर पल यादगार बनाया
जान लुटाई उस पर अपनी
दुनिया से नाता तोडके भी उससे किया हर वादा निभाया

प्रीत भंवर के मध्य में -

वो कहाँ समझती है मेरी मोहब्बत की गहराई
जाने क्यों रहती है हर वक़्त खफा
दीवाना था जिसका, वफ़ा करना सीखा मैंने जिसके लिए
वो मेरी मोहतरमा ही निकली बेवफा

प्रेम कथा के अंत में -

लायक नहीं मेरे इश्क के वो
जिसको समझ न आई मेरी आँखों में छिपी सच्चाई
अच्छा ही हुआ जो मुझे प्यार हुआ उससे
ऐसे ही सही मुझे अपने भोले दिल और एहसासों की कद्र तो समझ आई

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