पहले बस आसाँ जद्दोजेहद होती थी इस दिल में
जैसे की जाएँ मैखाने या हो आयें किसी महफ़िल में
आज एकाएक उलझनें बढ़ गयी यारों
इस दिल के दो टुकड़े कर वो हुस्न वाले तो चल दिए
अब ये टूटी सी हकीक़त, बिखरी सी मोहब्बत दामन में लिए हुए
जाऊं किधर अब, जब मंजिलें ही दो हो गयीं यारों
good one... Well Quite true also.
ReplyDeletejitna samajh aaya.. mast tha.. :)
ReplyDelete@aditi n pritam: thnx :)
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