क्यूँ सुकून ढूँढ़ते हो यारों...दिल बैचैन न रहा तो साँसों का कारवां न रुक जायेगा ?
बिना लहरों से उलझे, तूफ़ान से जूझे...साहिल पे पहुच भी गये तो क्या मज़ा आएगा ...
गर पता हो की मरेंगे नही ...तो क्या जिंदा रहने का जूनून खत्म न हो जायेगा
और मर गए यूँ ही "आम" इंसानों की तरह....तो बताओ कौन...हमें याद रख पायेगा...
Jindagi jindadili ka naam h...
ReplyDeleteMurdadil kya khak jiya karte hai...