Tuesday, October 5, 2010

सुकून ...पर क्यूँ ?


क्यूँ सुकून ढूँढ़ते हो यारों...दिल बैचैन न रहा तो साँसों का कारवां न रुक जायेगा ?

बिना लहरों से उलझे, तूफ़ान से जूझे...साहिल पे पहुच भी गये तो क्या मज़ा आएगा ...                                                                            

गर पता हो की मरेंगे नही ...तो  क्या जिंदा रहने का जूनून खत्म न हो जायेगा

और मर गए यूँ ही "आम" इंसानों की तरह....तो बताओ कौन...हमें याद रख पायेगा...

1 comment:

  1. Jindagi jindadili ka naam h...
    Murdadil kya khak jiya karte hai...

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